मार्च 22, 2012, अध्ययन

The Book of Exodus 32: 7-14

32:7 तब यहोवा ने मूसा से बात की, कह रहा: "जाना, उतरना. आपके लोग, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल लाया है, पाप किया है.
32:8 जिस मार्ग की तूने उन पर प्रकाश डाला है, वे उस से शीघ्र हट गए हैं. और उन्होंने अपने लिये एक बछड़ा पिघलाकर बनाया है, और उन्होंने इसकी पूजा की है. और पीड़ितों को इसमें आग लगा रहे हैं, उन्होंने कहा है: 'ये तुम्हारे देवता हैं, इजराइल, जो तुम्हें मिस्र देश से निकाल लाया।’”
32:9 और फिर, यहोवा ने मूसा से कहा: “मैं समझता हूँ कि यह लोग हठीले हैं.
32:10 मुझे मुक्त करें, जिस से मेरी जलजलाहट उन पर भड़क उठे, और मैं उन्हें नष्ट कर सकता हूँ, और तब मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा।
32:11 तब मूसा ने अपके परमेश्वर यहोवा से प्रार्यना की, कह रहा: "क्यों, हे भगवान, क्या तेरी जलजलाहट अपक्की प्रजा पर भड़की है?, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल लाया है, बड़े बल और बलवन्त हाथ से?
32:12 मैं तुमसे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूं, मिस्र के लोग मत कहो, 'वह चतुराई से उन्हें दूर ले गया, ताकि वह उनको पहाड़ों पर घात करे, और भूमि पर से सत्यानाश करे।’ अपने लोगों की दुष्टता के कारण तेरा कोप शान्त और शान्त हो.
32:13 इब्राहीम को याद करो, इसहाक, और इज़राइल, आपके नौकर, जिसकी तू ने अपनी ही शपथ खाई है, कह रहा: 'मैं तेरे वंश को आकाश के तारों के समान अनगिनित करूंगा. और यह सारी भूमि, जिसके बारे में मैंने बात की है, मैं तुम्हारे वंश को दूँगा. और वह सदा के लिये तुम्हारे अधिकार में रहेगा।’”
32:14 और यहोवा उस बुराई को करने से प्रसन्न हुआ, जो उस ने अपक्की प्रजा के विरूद्ध कही यी.

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