मई 5, 2012, अध्ययन

प्रेरितों के कार्य 13: 44-52

13:44 फिर भी सच में, अगले सब्त के दिन, लगभग पूरा शहर परमेश्वर का वचन सुनने के लिए एक साथ आया.
13:45 फिर यहूदी, भीड़ देखकर, ईर्ष्या से भरे हुए थे, वे और, निन्दा, पॉल द्वारा कही जा रही बातों का खंडन किया.
13:46 तब पौलुस और बरनबास ने दृढ़ता से कहा: “पहले तुम से परमेश्वर का वचन बोलना आवश्यक था. लेकिन क्योंकि आप इसे अस्वीकार करते हैं, और इसलिए अपने आप को अनन्त जीवन के अयोग्य ठहराओ, देखो, हम अन्यजातियों की ओर मुड़ते हैं.
13:47 क्योंकि यहोवा ने हमें ऐसा ही सिखाया है: 'मैंने तुम्हें अन्यजातियों के लिए एक प्रकाश के रूप में स्थापित किया है, ताकि तू पृथ्वी की छोर तक उद्धार पहुंचाए।’”
13:48 फिर अन्यजाति, यह सुनकर, प्रसन्न थे, और वे यहोवा के वचन की बड़ाई कर रहे थे. और जितने विश्वासी थे वे अनन्त जीवन के लिए पहले से नियुक्त थे.
13:49 अब यहोवा का वचन सारे देश में फैल गया.
13:50 परन्तु यहूदियों ने कुछ भक्‍त और ईमानदार स्त्रियों को भड़काया, और शहर के नेता. और उन्होंने पौलुस और बरनबास के विरुद्ध उपद्रव मचा दिया. और उन्होंने उनको उनके भाग से भगा दिया.
13:51 लेकिन वे, उनके पांवों की धूल उन पर झाड़ना, इकुनियुम चला गया.
13:52 वैसे ही चेले भी आनन्द से और पवित्र आत्मा से भर गए.

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